Second Hand Cars: भारत में पुरानी या सेकंड हैंड (Second Hand Cars) कारों का बाजार अगले 10 साल में बहुत ही महत्वपूर्ण रूप से विकसित होने की संभावना है। ‘Cars24’ के सह–संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विक्रम चोपड़ा ने इस बारे में अपनी राय बताई है। उन्होंने अनुमान लगाया है कि भारत में सेकंड हैंड कारों का बाजार अगले 10 साल में 100 अरब डॉलर, यानी करीब सवा आठ लाख करोड़ रुपये के आंकड़े पर पहुंच सकता है।
Second Hand Cars की इस अनोखी बढौतरी के पीछे कई कारन हैं, जिनमें बढ़ती आधुनिकीकरण, बढ़ती ज़रूरतें, इकोनोमिकल सुविधाओं की बढाती आशाएं, और ज्यादातर लोगों का मॉडर्न और सुरक्षित सफ़र जाहिर है। चोपड़ा ने बताया कि इस स्थिति में, बड़ी बड़ी कंपनियों के साथ हाथ मिलाने के लिए साथ होना और बहोत ही अच्छे ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्मों की भूमिका भी जरूरी है। यह सुनिश्चित करेगा कि ग्राहकों को और ज्यादा महफूज, सुविधाजनक, और अच्छी क्वालिटी की सेकंड हैंड कारें मिलें।
‘Car’s24’ के सह–संस्थापक (सीओ-founder) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विक्रम चोपड़ा ने भारत में पुरानी यानी सेकंड हैंड (Second Hand Cars) कारों के बाजार के बारे में एक उत्साहवर्धक नजरिया जताया है। उनके अनुसार, आनेवाले 10 साल में इस Second Hand Cars बाजार की खरीदारी में बढौतरी होकर 100 अरब डॉलर, यानि के करीब सवा आठ लाख करोड़ रुपये के आंकड़े पर पहुंच सकती है। उनके अनुसार, इस बढौतरी में ग्राहकों की बदलती आदतों और एकदूसरे को देखकर खरीदारी करनेवालों का भी महत्वपूर्ण योगदान है।
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गुरुग्राम स्थित ‘Car’s24′ के ऑनलाइन पुरानी कारों (Second Hand Cars) के मार्केटप्लेस के अनुसार, यहां पर कारों के बाजार में बदलाव आ रहा है। ग्राहक अब लगातार अपने वाहनों को बदल रहे हैं, जो इस बाजार के विकास में ख़ास भूमिका निभा रहे हैं। यह बदलती आदतें और आधुनिक सफ़र की जरूरतों के साथ, मॉडर्न और सुरक्षित कारों की ज़रूरत को बढ़ावा देने में मदद कर रही हैं। चोपड़ा ने बताया कि एकीकृत और उत्कृष्ट ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्मों की भूमिका बढ़ती मांग को पूरा करने में महत्वपूर्ण है, जो सुनिश्चित करेगा कि ग्राहकों को बेहतर सेवाएं और अधिक सुरक्षित और गुणवत्ता वाली कारें मिलें।
विक्रम चोपड़ा ने पीटीआई–भाषा में बातचीत के दौरान बताया कि उनके आंतरिक अध्ययन के अनुसार, भारत में पुरानी कारों का बाजार सालाना 15 प्रतिशत की दर से बढ़ने की अंदेशा है। उनके अनुसार, यह बाजार 2023 में 25 अरब डॉलर से बढ़कर 2034 तक 100 अरब डॉलर का हो सकता है। इस वृद्धि में, शहरीकरण और मध्यम वर्ग की बढ़ती संख्या जैसे बातों का महत्वपूर्ण योगदान होगा।
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उन्होंने कहा कि यह बढ़ रहे शहरीकरण और बढ़ते मध्यम वर्ग के संबंध में आने वाले संघर्ष के वजह से होगी, जो पुरानी कारों के बाजार को मजबूत करेगा। इससे, ग्राहकों की प्राथमिकता में परिवर्तन आएगा और सस्ते परिवहन समाधान की मांग बढ़ेगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस वृद्धि के साथ, मॉडर्न और सुरक्षित कारों की मांग भी बढ़ेगी, जो पुरानी कारों के बाजार को और भी प्रभावी बनाएगी।
विक्रम चोपड़ा ने बताया कि उनकी कंपनी, कार्स24, जब आठ साल पहले अपनी यात्रा की शुरुआत की थी, तब पुरानी कारों के बाजार का आकार लगभग 10-15 अरब डॉलर था। उन्होंने इसमें तेजी से वृद्धि को देखा और कहा, “मुझे लगता है कि पिछले तीन–चार साल में अलग अलग मॉडल्स की कारों के आने से इस बाजार में तेजी आई है।“
उन्होंने यह भी बताया कि भारत में विकसित देशों की तुलना में कारों के स्वामित्व का स्तर काफी कम है। इसका मतलब है कि लोग यहाँ पर नई कार खरीदने के बजाय पुरानी कारों (Second Hand Cars) को ज्यादा पसंद करते हैं, जिससे कीमतों में भी उतार–चढ़ाव होता है। इस बारे में, भारत में सेकंड हैंड कारों के बाजार का और भी विस्तार होना सही बात है और इसमें नई तकनीक का इस्तेमाल भी होना चाहिए।
चोपड़ा ने बताया कि अमेरिका, चीन और यूरोप में 80 से 90 प्रतिशत आबादी के पास कार है, हालांकि भारत में यह आंकड़ा केवल आठ प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि, यह दर्शाता है कि भारतीयों के पास अपना चार–पहिया वाहन होने की कमी है। इस बात से स्पष्ट होता है कि हमें अभी लंबे समय तक जाने वाला रास्ता तय करना होगा।
चोपड़ा ने यह भी बताया कि पुरानी कारों के बाजार का बढ़ने का एक और कारण यह है कि युवा पीढ़ी आज कारों को बदलती रहती हैं। आज की युवा पीढ़ी पांच–छह साल में अपनी कार को बदल देती है, जबकि, दो दशक पहले लोग 10-12 साल तक अपनी कार नहीं बदलते थे। यह बदलाव उन्हें दिखाता है कि लोग अब अपनी जीवनशैली में तेजी से परिवर्तन कर रहे हैं और पुरानी कारों (Second Hand Cars) को बदलने के पक्ष में हैं।
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